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Thursday 31 March 2016

हिन्दी, हिन्दू, हिन्दुस्तान की पहचान ही लोगों को एक सूत्र में बांध सकता है - प्रोगीतिका

एजुकेशन विजय,इलाहाबाद, 30 मार्च। एमएनएनआईटी एक राष्ट्रीय स्तर का संस्थान है, यहां भिन्न-भिन्न देशों तथा राज्यों से छात्र-छात्राएं अध्ययन के लिए आते हैं, इसलिए हिन्दी भाषा लोगों को एक धागे में पिरो सकती है। हिन्दी भाषा में वो संस्कार है जो दिलों को जोड़ने का काम करती है, हिन्दी हमारी पहचान है। हिन्दी, हिन्दू, हिन्दुस्तान की पहचान ही लोगों को एक सूत्र में बांध सकता है। उक्त विचार मोतीलाल नेहरु राष्ट्रीय प्रौद्योगिकी संस्थान के कान्फ्रेन्स हाल में तकनीकि शिक्षा में हिन्दी के प्रचार एवं प्रसार के व्यवहारिक पक्ष विषय पर एक दिवसीय कार्यशाला का शुभारम्भ करते संस्थान के कार्यवाहक निदेशक प्रो. गीतिका गोयल ने व्यक्त किया।कार्यशाला के मुख्य वक्ता प्रो. हरिदत्त शर्मा संस्कृत विभाग इलाहाबाद विश्वविद्यालय ने एक तकनीकी शिक्षा में हिन्दी के प्रचार-प्रसार की चर्चा करते हुए कहा कि भारत की समस्त भाषाओं को जन्म संस्कृत भाषा से हुआ है। हिन्दी का विकास भारत के अपने विकास पर निर्भर है। वैश्विक बाजार में अगर भारत की भूमिका बढ़ेगी तो हिन्दी का दायरा भी बढ़ेगा। कार्यक्रम के सयोजक सिविल इन्जीनियरिंग विभाग के विभागाध्यक्ष प्रो. ए.के सिंह ने तकनीकी शिक्षा एवं दैनिक कार्यों में हिन्दी के उपयोग हेतु एक सरल प्रशासनिक शब्दावली बुकलेट भी वितरित की जिसके माध्यम से अन्य भाषा भाषी छात्र हिन्दी सीख सकेंगे। संस्थान के कुल सचिव कर्नल संजीव बनर्जी ने तकनीकी शिक्षा में हिन्दी के महत्व के बारे में विस्तार से बताते हुए कहा कि कार्यालयीय कार्यों में हिन्दी का प्रयोग करने के लिए मात्र इच्छा शक्ति की आवश्यकता है। प्रशासनिक कार्यों में हिन्दी के अत्यधिक प्रयोग के लिए अधिकारियों एवं कर्मचारियों को प्रोत्साहित किये जाने की आवश्यकता है। इसके लिए संस्थान समय समय पर हिन्दी भाषा के प्रोत्साहन के लिए आवश्यक कार्यक्रम आयोजित करता रहता है।हिन्दी प्रकोष्ठ के उपाध्यक्ष प्रो. दिनेश चन्द्रा ने कहा कि संस्थान में हिन्दी भाषा के प्रचार प्रसार में क्या प्रगति हुई इसके लिए प्रत्येक तीन माह में हिन्दी भाषा की कार्यशाला का आयोजन किया जाता है। वर्तमान में अन्य संस्थानों की तुलना में एमएनएनआईटी हिन्दी भाषा के प्रचार प्रसार में सर्वश्रेष्ठ भूमिका निभा रहा है। इसके अलावा अहिन्दी भाषा भाषी छात्रों ने भी बड़े उत्साह के साथ इस कार्यशाला में भाग लिया। मंच का संचालन करते हुए प्रो. एल.के मिश्रा ने कहा कि विज्ञान एवं तकनीकि के क्षेत्र में अच्छी पुस्तकों का हिन्दी भाषा में अनुवाद होना चाहिए। उक्त कार्यशाला में संस्थान के समस्त शिक्षक, कर्मचारी एवं भारी संख्या में छात्र उपस्थित रहे।

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