एजुकेशन विजय, इलाहाबाद, 27 मार्च। ज्ञान समाज के युग में सूचना एवं ज्ञान के साथ-साथ प्रोत्साहन एवं प्रेरणा की भी जरुरत है। आज की युवा पीढ़ी को केवल गूगल पर ही निर्भर नहीं रहना चाहिए वरन् दस पृष्ठ प्रतिदिन पढ़ने की आदत को भी अपनी दिनचर्या में शुमार करना चाहिए। उक्त विचार उ.प्र. राजर्षि टण्डन मुक्त विश्वविद्यालय के केन्द्रीय पुस्तकालय एवं मानविकी विद्याशाखा के संयुक्त तत्वावधान में आयोजित दो दिवसीय राष्ट्रीय संगोष्ठी टेक्नोलाजी ट्रेन्ड्स इन लाइब्रेरीज के समापन अवसर पर बतौर मुख्य अतिथि भारतीय संसद पुस्तकालय नई दिल्ली के अपर सचिव डॉ. आर.के. चड़ढा ने व्यक्त किया। उन्होनें नई तकनीक को सीखने के साथ-साथ लक्ष्य निर्धारण एवं लगातार परिश्रम को सफलता की कुंजी बताया। डॉ. चड़ढा ने प्रतिभागियों को मूलमंत्र देते हुए कहा कि देश, समाज एवं सवयं के लिए हमेशा आत्म निर्भर एवं आत्म विश्वासी होना आवश्यक है। अध्यक्षता करते हुए कुलपति प्रो. एम.पी दुबे ने कहा कि बदलते परिवेश में पुस्तकालयों को भी अपने कलेवर में परिवर्तन एवं नई तकनीक विकसित कर छात्रोंन्मुखी बनाने की आवश्यकता है। कहा कि आज छात्र विश्वविद्यालय नहीं आ रहा है तो पुस्तकालय कहां से आयेगा। ऐसी विषम परिस्थतियों में पुस्तकालयों को भी समय के साथ यूजर फ्रेन्डली बनाये जाने की आवश्यकता है। जिससे छात्रों का रुझान पुस्तकालयों की तरफ बढें। दो दिनों तक चले सेमिनार की रिपोर्ट आयोजन सचिव डा. आर.जे. मौर्य ने प्रस्तुत की।
अतिथियों का स्वागत मानविकी विद्याशाखा के निदेशक डॉ. आर.पी.एस. यादव ने तथा धन्यवाद ज्ञापन संयोजक डा. टी.एन. दुबे, पुस्तकालयाध्यक्ष ने एवं संचालन डा.राम जनम मौर्य ने किया। इस अवसर पर प्रो. वी.पी.खरे, झाँसी, डा. मेहन्दी हसन, अलीगढ़, डा. बी.के. सिंह, इलाहाबाद, प्रो. ए.पी. सिंह, वाराणसी तथा प्रो. लक्ष्मण राव नागुबन्दी, हैदराबाद आदि ने विभिन्न तकनीकी सत्रों में अपने विचार व्यक्त किये।
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