एजुकेशन विजय,इलाहाबाद, 18 मार्च। टीजीटी हिन्दी के प्रतियोगी छात्रों ने बृहस्पतिवार को माध्यमिक शिक्षा सेवा चयन बोर्ड कार्यालय का घेराव करके इण्टरमीडिएट में संस्कृत की अनिवार्यता खत्म करने के लिए आवाज बुलन्द की है।
उल्लेखनीय है कि पूर्व में स्नातक एवं बीएड के आधार पर टीजीटी हिन्दी शिक्षकों की भर्ती होती रही है। इस बार माध्यमिक शिक्षा परिषद ने शैक्षिक अर्हता में बदलाव करते हुए इण्टरमीडिएट स्तर पर संस्कृत विषय होना अनिवार्य कर दिया है। परिषद के इस पैहृसले से क्षुब्ध टीजीटी हिन्दी के प्रतियोगी छात्रों ने बुधवार को माध्यमिक शिक्षा परिषद कार्यालय पर प्रदर्शन किया था और आज माध्यमिक शिक्षा सेवा चयन बोर्ड कार्यालय के समक्ष सैकड़ों की संख्या में अभ्यर्थियों ने विरोध-प्रदर्शन किया। प्रदर्शनकारियों का नेतृत्व करते हुए गौरव सिंह ने कहा कि शैक्षिक अर्हत उच्चतम डिग्री के आधार पर निर्धारित की जानी चाहिए न कि इण्टरमीडिएट स्तर के आधार पर। उन्होंने कहा कि परिषद एवं अधिकारियों के इस मनमाने फैसले से इण्टरमीडिएट में विज्ञान वर्ग अथवा वाणिज्य वर्ग से परीक्षा उत्तीर्ण करने वाले हजारों प्रतियोगी छात्र टीजीटी हिन्दी भर्ती की से बाहर हो जायेंगे।श्री सिंह ने कहा कि पूर्व में बडी संख्या में छात्र इण्टरमीडिएट में विज्ञान वर्ग अथवा वाणिज्य वर्ग से परीक्षा उत्तीर्ण करने के उपरान्त स्नातक में बीए हिन्दी, संस्कृत से करके बीएड करते रहे हैं। वर्ष 2005 तक विद्यालयों में इण्टर स्तर पर संस्कृत का शिक्षण भी न के बराबर रहा है ऐसे में माध्यमिक शिक्षा परिषद के इस फैसले से हजारों छात्र टीजीटी हिन्दी भर्ती की दौड से बाहर हो जायेंगे जिसे किसी कीमत पर बर्दाश्त नहीं किया जायेगा। बोर्ड कार्यालय पर प्रदर्शन करने वालों में प्रमुख रूप से ज्ञान शुक्ल, अनुराग वर्मा, धर्म राज यादव, जय बहादुर सिंह, पूनम, विभा शुक्ला, अर्चना यादव सहित सैकडों प्रतियोगी छात्र शामिल रहे।
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