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Monday, 28 March 2016

कोर्ट के 19 फैसलों के बाद प्राइवेट स्कूलों में सरकारी हालात

एजुकेशन विजय, चंडीगढ, 27 मार्च। हरियाणा शिक्षा नियमावली का नियम 134ए बना तो वर्ष 2003 में था, लेकिन इसे लागू कराने के लिए छह साल कानूनी लड़ाई लड़नी पड़ी। कोर्ट के 19 फैसले आए। इस बार पहला मौका है जब सरकार इस नियम के तहत दाखिलों को कुछ गंभीर नजर आई है। इस बार समय से आवेदन व ड्रॉ का शेड्यूल जारी हुआ है। शिक्षा मंत्री रामबिलास शर्मा कहते हैं कि दाखिला देने में आनाकानी करने वाले स्कूल की मान्यता वापस ली जाएगी। नियम 134ए को लेकर स्पष्ट गाइडलाइन न होने के कारण गरीब बच्चों को पढ़ने का हक मिलने में 13 साल लग गए। दूसरी ओर प्राइवेट स्कूल भी गरीब बच्चों का बोझ उठाने में असमर्थता जताते रहे हैं। एडमिशन न देने का प्राइवेट स्कूल सालों से विरोध करते आ रहे थे। अब सरकार हाईकोर्ट में कह चुकी है कि प्राइवेट स्कूलों पर पढ़ने वाले आर्थिक बोझ का वहन प्रदेश सरकार करेगी। प्राइवेट स्कूलों के संगठन का कहना है कि सरकार पूरा खर्च वहन करे। जब नियम बना तब प्रावधान था कि मान्यता प्राप्त प्राइवेट स्कूल में 25 फीसदी सीटें गरीब बच्चों को के लिए आरक्षित होंगी। 2013 में हुड्डा सरकार ने 25 फीसदी कोटे को घटाकर 10 फीसदी कर दिया। अब इस नियम के तहत दूसरी कक्षा से 12वीं कक्षा तक कर दाखिले मिलने हैं। जबकि पहली कक्षा में शिक्षा के अधिकार (आरटीई) के तहत दाखिला मिलेगा। शिक्षा विभाग की ओर से जारी शेड्यूल के अनुसार आगामी शैक्षणिक सत्र 2016-2017 में पहली कक्षा में दाखिले के लिए 22 से 31 मार्च तक और दूसरी से 8वीं कक्षा तक 29 मार्च से 8 अप्रैल तक आनॅलाइन व ऑफ लाइन फार्म जमा करवाए जा सकते हैं। 9 से 12 अप्रैल तक छंटनी के बाद 12 अप्रैल को आवेदनकर्ताओं की सूची स्कूल एवं खंड शिक्षा अधिकारी कार्यालय में प्रकाशित कर दी जाएगी। 18 अप्रैल को खंड स्तर पर पहला ड्रॉ निकाला जाएगा। पहले ड्रॉ के 18 से 25 अप्रैल तक दाखिले होंगे। बची हुई सीटों के लिए द्वितीय ड्रॉ 26 अप्रैल को निकाला जाएगा।
दाखिले 26 से 29 अप्रैल तक होंगे। फिलहाल तीसरे ड्रॉ का शेड्यूल जारी नहीं किया गया।दो जमा पांच मुद्दे जन आंदोलन संस्था 2010 से इस नियम को लागू करने के लिए कानूनी लड़ाई लड़ रही है। संयोजक सत्यवीर हुड्डा बताते हैं कि 2010 में पहली बार याचिका लगाई थी। उसके बाद हाईकोर्ट और शीर्ष कोर्ट में 19 बार आदेश पारित हुए। मार्च 2012 में दिए निर्णय में हाईकोर्ट ने स्पष्ट किया कि दो लाख रुपए से कम आय वाले सभी अभिभावक अपने बच्चे का नियम 134ए के तहत एडमिशन करा सकते हैं। इस नियम के तहत सभी स्कूलों में 10 फीसदी सीटें इन बच्चों के लिए आरक्षित रखना जरूरी है। पहले सरकार ने शहरी सीमा में पड़ने वाले प्राइवेट स्कूलों में दूसरी से 5वीं कक्षा तक एक छात्र के 300 रुपए, छठी से 8वीं तक 400 रुपए और गांवों में क्रमश: 200 और 300 रुपए प्रति बच्चा (134ए के तहत) देने की बात कही थी। अब पूरा खर्च उठाने की बात की जा रही है। हालांकि विधानसभा में पेश 2016-17 के बजट में अलग से राशि का प्रावधान नहीं है।

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