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Monday, 28 March 2016

7500 प्रवेशार्थियों के सैलाब ने किया अचम्भित

एजुकेशन विजय, चंडीगढ, 27 मार्च। गुरुकुल शिक्षा एक विशिष्ट जीवन-शैली है, जिसे आज अभिभावकगण अपने बच्चों को यशस्वी बनाने के उद्देश्य से सामाजिक विरासत के रूप में सौंपना चाहते हैं। इसका प्रत्यक्ष प्रमाण रविवार को गुरुकुल कुरुक्षेत्र में अपने बच्चों को प्रवेश दिलाने हेतु पहुँचे अभिभावकों की जिज्ञासा को देखकर मिला, जिसमें पाँचवीं से ग्यारहवीं कक्षा तक 7500 में से केवल 750 प्रतिभावान छात्रों को विभिन्न कक्षाओं के लिए चयनित किया जाएगा, जिसमें 250 गुरुकुल कुरुक्षेत्र व 500 छात्रों का प्रवेश गुरुकुल नीलोखेड़ी में किया जाएगा। प्रवेशार्थियों में इटली व नेपाल के अतिरिक्त भारत के सभी राज्यों के छात्र शामिल हैं। अनेकता में एकता को संजोए हुए सचमुच में गुरुकुल कुरुक्षेत्र संस्कारित शिक्षा का महासागर है, जिसमें अनेक प्रान्तों, जाति, धर्म तथा भाषाओं की विविधता के बावजूद एकता का अनुपम समावेश है। अभिभावकों ने बताया कि गुरुकुल कुरुक्षेत्र में प्राचीन व अर्वाचीन शिक्षा का अनुपम सामंजस्य है, जिससे छात्रों का सर्वांगीण विकास सम्भव है।
भारतीय संस्कृति, जीवन-मूल्यों व आदर्शों पर आधारित गुणवत्तापरक एवं संस्कारित शिक्षा के कारण उनका रूझान अपने बच्चों को गुरुकुल कुरुक्षेत्र में प्रविष्ट कराने का बना। गुरुकुल में ऑडियो-विजुअल, गु्रप-डिस्कशन डिवेट, होर्स राइडिंग, शूटिंग रेंज, म्यूजिक, एन.सी.सी. की सीनियर व जूनियर विंग, एन.एस.एस यूनिट, कम्प्यूटर का व्यावहारिक प्रशिक्षण, वातानुकूलित साइंस व लैंग्वेज लैब, स्मार्ट क्लासिज़ व वातानुकूलित लाईब्रेरी इत्यादि की सुव्यवस्था है, जो अन्यत्र विद्यालयों में दुर्लभ है। इन्हीं से प्रभावित होकर उन्हांेने अपने बच्चों को गुरुकुल कुरुक्षेत्र में दाखिल कराने का निर्णय लिया है। इसके साथ छात्रों को जेईई मेन व एडवांस, एन.डी.ए., एन.टी.एस.ई., ए.आई.पी.एम.टी., आई.एम.टी., ऑलम्पियाड आदि की परीक्षाओं की तैयारी दक्ष प्रशिक्षकों की देख-रेख में कराई जाती है, जिसके सकारात्मक परिणाम सामने हैं। इसके अतिरिक्त यहाँ राष्ट्रीय व अंतर्राष्ट्रीय स्तरीय खेल प्रशिक्षण हेतु इनडोर व आउटडोर जिम्नेजियम हॉल व प्रशिक्षकों की भी सुव्यवस्था है। हिमाचल प्रदेश के राज्यपाल व गुरुकुल के संरक्षक आचार्य देवव्रत ने बताया कि अंग्रेजी, गणित, सामाजिक विज्ञान, साइंस व हिन्दी विषय की 100 अंकों की लिखित प्रवेश परीक्षा व काउंसलिंग के आधार पर योग्यता की परख कर केवल मेरिट सूची में स्थान पाने वाले प्रतिभावान छात्रों को ही चयनित किया जाएगा। गुरुकुल कुरुक्षेत्र के उत्कृष्ट परीक्षा परिणामों, खेल व अन्य क्षेत्रों में अर्जित उपलब्धियों से अभिभावकगण इतने अभिभूत हैं कि किसी भी कीमत पर वे अपने बच्चों को यहाँ प्रवेश दिलाना चाहते हैं परन्तु सीमित संसाधनों के कारण गुरुकुल प्रबंध समिति और अधिक बच्चों को प्रवेश दे पाने में असमर्थ है। अभिभावकों का कहना है कि गुरुकुल में एक ऐसा वातावरण है जिससे विद्यार्थियों का सर्वांगीण विकास संभव है। ऐसे स्वच्छ, शांत, भयमुक्त और स्वास्थ्यप्रद वातावरण से ही विद्यार्थियांे की कोमल भावनाएँ सुरक्षित रह सकती हैं।
गुरुकुल में प्रवेशार्थियों के उमड़े सैलाब पर प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए आचार्य देवव्रत ने कहा कि आज का युग उच्च शिक्षा, प्रतियोगिता व अनेक चुनौतियों से परिपूर्ण है तथा मानव का हर कदम वैज्ञानिक व वैचारिक आस्थाओं की ओर अग्रसर है। गुरुकुल के छात्रों में दुनिया से आगे चलने की ललक व उमंग है। इसी कारण अभिभावकों का रूझान गुरुकुल शिक्षा की ओर बढ़ रहा है। शिक्षा एक ऐसा हथियार है जिसका यदि सही ढंग से उपयोग किया जाए तो परमाणु हथियार भी इसके सामने बौने साबित हो सकते हैं। इससे बौद्धिकता के उच्चतर स्तर को प्राप्त किया जा सकता है। सही और गलत के बीच भेद और नवाचार व रचनात्मकता के लिए जरूरी योग्यताओं को विकसित किया जा सकता है। एक आदर्श शिक्षण संस्थान का मूल दायित्व अपने विद्यार्थियों को रचनात्मक अभिव्यक्ति प्रदान कर ज्ञान से आलोकित करना है। संस्कारित शिक्षा के अभाव में आज समाज में जीवन-मूल्यों का ह्रास तथा नैतिक-मूल्यों का अवमूल्यन हो रहा है, ऐसे में संस्कारित शिक्षा का महत्त्व व आवश्यकता और भी अधिक प्रासंगिक है।

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