S.
Anup Bagh
क्या सरकारी स्कूलों के
बदतर हालात बजट बढ़ाने से सुधरेंगे ?
आप सरकार ने बजट सत्र में एजुकेशन पर खास ध्यान देते हुए कुल 10,690 करोड़ रुपये शिक्षा
के लिए रखे हैं।
दिल्ली सरकार एजुकेशन में सुधार के लिए त्रि-स्तरीय प्रयास कर रही है, सबसे पहले फैसिलटी
और इंफ्रास्ट्रक्चर को बेहतर बनाना, दूसरा स्कूलों में टीचर्स की संख्या बढ़ाना और
तीसरा करिकुलम और टीचिंग के स्तर को सुधारना।
क्या इन प्रयासों भर से
ही सरकारी स्कूलों की हालत सुधरेगी ?
क्योंकि इससे पहले चाहे जैसा भी इंफ्रास्ट्रक्चर रहा हो, उसको उजाड़ने में वहां
पड़ने वाले बच्चों का भी काफी योगदान रहा है। कई बच्चे वहां लगे पंखे, बल्ब जैसी चीजें
उठाकर घर ले जाते हैं या तोड़-फोड़ कर के खराब कर देते हैं। ज़रुरी है बजट में
बढ़ोतरी के साथ-साथ इनका भी थोड़ा ज्ञानवर्धन हो।
टीचर्स की संख्या बढ़ाने
के साथ-साथ सरकारी स्कूलों में सुरक्षा कर्मियों की संख्या पर भी थोड़ा ध्यान दिया
जाए, क्योंकि बच्चे तोड़-फोड़ करने के बाद कूद-फांद के भाग निकलते हैं। स्कूलों
में अक्सर लड़ाई- झगड़े होते रहते हैं, कई बार जान भी चली जाती है।
टीचिंग के स्तर को
बेहतर करने के लिए, टीचर्स को देश से बाहर ले जाके उन्हें ट्रेनिंग देने की तैयारी
की जा रही है। हम चाहते हैं कि विदेशी टीचर्स हमारे शिक्षकों को सिर्फ इतना सिखा
दें कि, ठंड में अपने पतियों के लिए स्वैटर न बुनें, स्कूल में गप्पे कम मारें, और
पुरूष शिक्षकों को बीड़ी और अन्य तम्बाकू उत्पादों से छुटकारा पाने की कोई तरकीब
ज़रूर बता दें।
छोटी-छोटी चीज़ों को
सुधार कर भी बड़े बदलाव किये जा सकते हैं।
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