एजुकेशन विजय, जगदलपुर, 9 अप्रैल।जिले
में सात मॉडल स्कूलों को चलाने असमंजस की स्थिति बन गई है। निजी
स्कूलों की तर्ज पर सीबीएसई कोर्स की पढ़ाई करने वाले जिले
के सात मॉडल स्कूलों के सैकड़ों विद्यार्थियों की पढ़ाई इस
वर्ष शिक्षा सत्र शुरू होने के साथ ही बाधित हो रही है। स्कूलों को पीपीटी मोड कराए
जाने के निर्णय को लेकर पालकों के विरोध प्रदर्शन के बाद पालक संघ द्वारा हाईकोर्ट में
याचिका दायर की गई थी जिस पर स्थगन प्राप्त हो गया है। इस स्थिति में अभी स्कूल की
वर्तमान दशा डांवाडोल है। नये शिक्षा सत्र के आरंभ से ही स्कूलों में पढ़ाई भी हो
चुकी है। परंतु अभी फिलहाल इन स्कूलों को न तो डीएव्ही को सौंपा गया है और न ही यहां
पढ़ाने के लिए पर्याप्त शिक्षक है ऐसी स्थिति में बच्चों की पढ़ाई प्रभावित हो
रही है। नियमित शिक्षक व शिक्षाकर्मी ही मॉडल स्कूलों की कमान संभालेंगे जो
कि पर्याप्त नहीं है। गौरतलब है कि केंद्र सरकारी की एक कल्याणकारी योजना के तहत
वर्ष 2012 से मॉडल स्कूलों का संचालन किया जा रहा है। परंतु
पिछले वर्ष केंद्र सरकार द्वारा मॉडल स्कूलों को दी जाने वाली
राशि बंद कर दी गई और राज्य शासन को स्कूल सौंप दिये गये। अब राज्य शासन इन
स्कूलों का निजीकरण कर तनावमुक्त होना चाहता था, परंतु पालकों
के विरोध के बाद हाईकोर्ट का स्टे मिल गया है। जिसके कारण शिक्षा विभाग को
शासन के अगले आदेश का इंतजार है और इधर स्कूलों में बच्चों को
पढ़ाने पर्याप्त शिक्षक भी नहीं है।
बस्तर जिले के सात ब्लाकों के सात मॉडल स्कूलों में पढऩे वाले 1 हजार 2 छात्र-छात्राओं की पढ़ाई अधर में है। इन स्कूलों की कमान संभालने वाले 58 अतिथि शिक्षकों का हटा दिया गया है और अब स्कूलों में नियमित शिक्षकों और शिक्षाकर्मियों द्वारा पढ़ाए जाने की बात कही है। सवाल यह भी है कि ऐसे ही विभाग के पास शिक्षकों का टोटा है और मॉडल स्कूल के बच्चों को पढ़ाए जाने हेतु कहां से शिक्षाकर्मी दिये जायेंगे।
तीन-चार वर्षो से अतिथि शिक्षकों के रूप में काम करने वाले तमाल शिक्षक-शिक्षिकाओं में आक्रोश इसलिए व्याप्त है कि एक तो इन्हें हटा दिया गया और दूसरी ओर इन्हें चार महीने से वेतन ही नहीं दिया गया है। इनका कहना है कि महज दो शिक्षक ही है। वे कैसे बच्चों को पढ़ाऐंगे।
मॉडल स्कूलों के बारे में जिला शिक्षा अधिकारी राजेन्द्र झा का कहना है कि एक दो दिन में शासन के आदेश मिल जाएंगे जिसका इंतजार किया जा रहा है।
बस्तर जिले के सात ब्लाकों के सात मॉडल स्कूलों में पढऩे वाले 1 हजार 2 छात्र-छात्राओं की पढ़ाई अधर में है। इन स्कूलों की कमान संभालने वाले 58 अतिथि शिक्षकों का हटा दिया गया है और अब स्कूलों में नियमित शिक्षकों और शिक्षाकर्मियों द्वारा पढ़ाए जाने की बात कही है। सवाल यह भी है कि ऐसे ही विभाग के पास शिक्षकों का टोटा है और मॉडल स्कूल के बच्चों को पढ़ाए जाने हेतु कहां से शिक्षाकर्मी दिये जायेंगे।
तीन-चार वर्षो से अतिथि शिक्षकों के रूप में काम करने वाले तमाल शिक्षक-शिक्षिकाओं में आक्रोश इसलिए व्याप्त है कि एक तो इन्हें हटा दिया गया और दूसरी ओर इन्हें चार महीने से वेतन ही नहीं दिया गया है। इनका कहना है कि महज दो शिक्षक ही है। वे कैसे बच्चों को पढ़ाऐंगे।
मॉडल स्कूलों के बारे में जिला शिक्षा अधिकारी राजेन्द्र झा का कहना है कि एक दो दिन में शासन के आदेश मिल जाएंगे जिसका इंतजार किया जा रहा है।
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