एजुकेशन विजय, लखनऊ, 04 अप्रैल। संयुक्त शिक्षक संघर्ष मोर्चा के संयोजक तेज नारायण पाण्डेय ने अपने संगठन के पदाधिकारियों के साथ सोमवार को लखनऊ के पाँचों मूल्यांकन केन्द्रों पर दौरा किया। मूल्यांकन कार्य कर रहे शिक्षकों से मुलाकात की और नए सत्र प्रारम्भ की बधाई दी।श्री पाण्डेय ने बताया कि पिछले वर्ष की उत्तर पुस्तिकाओं के मूल्यांकन की धनराशि अब तक परीक्षकों को भुगतान नहीं की गयी है। इससे न केवल शिक्षकों में रोष है, अपितु उत्तर पुस्तिका के मूल्यांकन में उन्हें अब दिलचस्पी नहीं है। सरकार का दावा है कि पिछले वर्ष के मूल्यांकन के पारिश्रमिक भुगतान ेके लिए सात करोड़ रुपये निर्गत किया जा चुका है, किन्तु विडम्बना यह है कि वह भुगतान कब तक सुनिश्चित होगा।उन्होंने कहा कि परीक्षकों का कहना है कि मूल्यांकन का पारिश्रमिक अन्य बोर्डांे की अपेक्षा बहुत कम है। परीक्षक को अपने केन्द्र पर आने-जाने का खर्चा भी पूरा नहीं हो पाता है। इसलिए पारिश्रमिक बढ़ाया जाना चाहिए।पाण्डेय ने बताया कि शैक्षिक सत्र मार्च में समाप्त होने से 31 मार्च को सेवानिवृत्त हुए अध्यापकों में मूल्यांकन के प्रति कोई रुचि नहीं है।
आखिर, वर्तमान सरकार की सोच क्या है, जो नया सत्र 01 अपै्रल से प्रारम्भ कर दिया। अब शिक्षक अपने विद्यालय में अध्यापन, प्रवेश एवं अन्य जिम्मेदारियों का निर्वहन करें या मूल्यांकन का कार्य का?पाण्डेय ने कहा कि बोर्ड द्वारा परीक्षकों को भेजे गये आमंत्रण पत्रों में कई खामियाँ हैं। विषय गलत लिखे हैं। मृत शिक्षकों को भी परीक्षक बनाया गया है। इससे परीक्षक भ्रमित हैं। मूल्यांकन केन्द्रों पर नहींे पहुँच पा रहे हैं।
आखिर, वर्तमान सरकार की सोच क्या है, जो नया सत्र 01 अपै्रल से प्रारम्भ कर दिया। अब शिक्षक अपने विद्यालय में अध्यापन, प्रवेश एवं अन्य जिम्मेदारियों का निर्वहन करें या मूल्यांकन का कार्य का?पाण्डेय ने कहा कि बोर्ड द्वारा परीक्षकों को भेजे गये आमंत्रण पत्रों में कई खामियाँ हैं। विषय गलत लिखे हैं। मृत शिक्षकों को भी परीक्षक बनाया गया है। इससे परीक्षक भ्रमित हैं। मूल्यांकन केन्द्रों पर नहींे पहुँच पा रहे हैं।
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