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Friday 1 April 2016

जब पढ़ाने वाले ही योग्य नहीं तो कैसा होगा पढ़ने वालों का भविष्य?

इंजीनियरिंग के 80 प्रतिशत शिक्षक टीएटी में हुए फेल
एजुकेशन विजय, भोपाल, 31 मार्च। मध्यप्रदेश सरकार राज्य में शिक्षा की गणवत्ता को सुधारने पर भले ही लाख प्रयास करती रहे, लेकिन प्रदेश में कुकुरमुत्तों की तरह उग आये हजारों की संख्या में शैक्षणिक संस्थान विद्यार्थियों को कैसी शिक्षा दे रहे हैं, इस ओर किसी का ध्यान ही नहीं है। इसीलिए तो उच्च शिक्षा ग्रहण करने वाले अधिकांश विद्यार्थी रोजगार की कसौटियों पर खरे नहीं उतरते और 80 प्रतिशत से अधिक बेरोजगारी का दंश झेलने को मजबूर हैं। दरअसल, जब इन शैक्षणिक संस्थानों में पढ़ाने वाले ही योग्य नहीं हैं, तो समझा जा सकता है कि पढ़ने वालों का भविष्य कैसा होगा। शिक्षा की गुणवत्ता में अध्यापकों-शिक्षकों को बहुत बड़ा योगदान होता है, लेकिन प्रदेश के उच्च शिक्षण संस्थानों में पढ़ाने वाले 80 प्रतिशत शिक्षक योग्यता के मापदंडों पर खरे नहीं उतरते। इस बात की पुष्टि टीएटी की परीक्षा ने भी कर दी है।बता दें कि राजधानी भोपाल स्थित राजीव गांधी प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय (आरजीपीवी) द्वारा विगत 6 मार्च को टीचर एलेजेविलटी टेस्ट (टीएटी) की परीक्षा का ऑनलाइन आयोजन किया गया था, जिसका परिणाम दो दिन पहले ही घोषित हुआ है, जिसमें 80 फीसदी शिक्षक फेल हो गए। आरजीपीवी ने यह परीक्षा इंजीनियरिंग, फॉर्मेसी, एमसीए सहित अन्य कॉलेजों में पढ़ाने वाले शिक्षकों के लिए आयोजित की गई थी।इस परीक्षा में प्रदेशभर से 2232 परीक्षा आवेदन आए थे, जिनमें से 1342 परीक्षा में शामिल हुए थे। जारी हुए परीक्षा परिणामों में सिर्फ 274 उम्मीदवार पास हुए हैं। इस परीक्षा में अधिकतर वे ही उम्मीदवार शामिल हुए थे, जो इंजीनियरिंग कॉलेजों में पढ़ा रहे हैं। इससे अंदाजा लगाया जा सकता है कि प्रदेश के इंजीनियरिंग कॉलेजों में किस स्तर के शिक्षक छात्रों को पढ़ा रहे हैं। इस परिणाम से प्रदेश के उच्च शिक्षा संस्थानों की पोल खुल गई है। क्या प्रदेश सरकार इनके खिलाफ कोई ठोस कदम उठाएगी?

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