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Saturday, 27 February 2016

शिक्षक बनाता है यूरेका अकादमी



नवीन कुमार / प्रियम दवे
एजुकेशन विजय, नई दिल्ली। शिक्षा के क्षेत्र में सबसे अहम भुमिका एक शिक्षक कि होती है। एक शिक्षक ही है जो बच्चों का दिशा-निर्देशक या बच्चों को सही मार्ग दिखाता है अपने सपनों की उड़ान भरने, अपने लक्ष्य को हासिल करने में और समाज में अपनी एक पहचान बनाने में एक शिक्षक का ही हात होता है बच्चों को मार्ग और उनके कर्तव्यों उनकी जिम्मेदारीयों से उन्हें रू ब रू कराता है बच्चे के भविष्य में एक शिक्षक का बहुत बड़ा योगदान होता है। इसी बीच एजुकेशन विजय ने बात की दिल्ली के जी.टी.बी नगर में स्थित ‘यूरेका अकादमी’ से जो शिक्षकों को  कई वर्षो से प्रशिक्षित कर रहा हैं।
यूरेका अकादमी के संस्थापक ए.के.श्रीवास्तव जी से बातचीत के दौरान उन्होंने बताया कि इस संस्था कि शुरूआत सन् 1995 हुई थी और इस संस्था कि शुरूआत केवल एक बच्चे से हुई और शुरू में उन्हें बहुत सी परेशानियों का भी सामना करना पढ़ा। लेकिन अपने विष्वास और हौसले को कायम रख वह आगे बढ़ते गए। उसी का परिणाम है कि आज उनके एक बैच में 30 बच्चे पढ़ते है और संस्था से हजारों बच्चे शिक्षा ले चुके हैं।
उन्होंने बताया कि संस्था से पढ़कर गए बच्चे पूरे भारत में अच्छी जगह कार्यरत है और आगे बच्चों को शिक्षा दे रहे है उन्होंने कहा कि संस्था से 30 प्रतिशत बच्चे हर बार पास होते है उनका कहना कि बच्चों को अपनी सोच बदलने की जरूरत है क्योकि जिसके पास सरस्वती है उसको रोजगार कि कमी नहीं हैं। वह चाहते है कि वो इस देश को अच्छे से अच्छा और ज्यादा से ज्यादा शिक्षक दे। ताकि बच्चों को एक सही दिशा और मार्ग दिखा सके। क्योकि बच्चों को जरूरत है दिशा-निर्देशक की और उससे ज्यादा जरूरी है बच्चों को अपने शिक्षक का आदर करना। 

“आसमा एकेडमी” से भरें उड़ान



नवीन कुमार
एजुकेशन विजय, नई दिल्ली। आज की इस भाग दौड़ भरी ज़िन्दगी में, जहां अभिभावकों के पास अपने बच्चों के लिए समय नहीं है। ऐसे समय में बच्चों की जरूरत हैं ऐसे शिक्षक की, जो सिर्फ शिक्षक न होकर एक अभिभावक की भी भूमिका निभाएं। शिक्षक ऐसा हो जो सलाहकार हो, मददगार हो, प्रोत्साहन देने वाला हो और उनका आत्मविश्वास बढ़ाकर उनको पंख दे सके जिससे उनके सपनों की उड़ान कभी अधूरी न रहे। दिल्ली स्थित मुखर्जी नगर की आसमा एकेडमी में आपको ऐसे ही बेहतरीन शिक्षक मिलेंगे। उनकी जानकारी आप तक पहुंचाने के लिए एजुकेशन विजय पहुंचा इस संस्थान तक और बात की इसके संस्थापक लक्की नारंग जी से। 
बातचीत के दौरान उन्होंने बताया कि संस्था की शुरूआत 2002 में 7 बच्चों के साथ हुई थी और यहां आज करीब 200 बच्चे  अध्ययनरत हैं। हालांकि शुरूआती दिनों में संस्था के सामने बहुत सी परेशानियां आईं लेकिन उन परेशानियों से लड़ते हुए संस्था ने अपने आप को स्थापित किया। आज संस्था में ऐसे अनुभवी शिक्षक हैं जो कि सिर्फ शिक्षक न होकर एक सलाहकार की भी भूमिका निभाते हैं।
नारंग जी ने कहा कि संस्था बच्चों की योग्यता और उनकी क्षमता के अनुसार उन्हें उनके उज्जवल भविष्य के लिए सलाह देती है और बच्चों को कम फीस में बेहतर ज्ञान देने की कोशिश करती हैं। उन्होंने कहा कि संस्था में ज्यादातर बच्चे सरकारी स्कूलों से है और हम कई बच्चों को बिना फीस के भी पढ़ाते हैं।
उन्होंने कहा कि यहां पढ़ाई के लिए समय की कोई पाबंदी नहीं है वह अपने समय के अनुसार यहां पढ़ सकते हैं और शिक्षक भी पढ़ाने के लिए हमेशा तैयार रहते हैं। सिर्फ इतना ही नहीं हर रविवार बच्चों के लिए यहां टेस्ट रखा जाता है, जिसमें अच्छे नम्बर लाने वाले बच्चों को प्रोत्साहित करने के लिए पुरस्कार भी दिया जाता है। संस्था की तरफ से बच्चों को स्टेशनरी भी दी जाती है।       
अंत में आज शिक्षा सुधार पर जोर देते हुए उन्होंने कहा कि आज हमारे देश में अच्छे शिक्षकों की भारी कमी है, इसकी पूर्ति के लिए और शिक्षा में सुधार लाने के लिए सरकार को कुछ दूरगामी योजना बनाने की आवश्यकता है।

Saturday, 20 February 2016

शिक्षा के साथ जरूरी है सही मार्गदर्शन- रेनू कुमरा, शिक्षक

नवीन कुमार
एजुकेशन विजय, नई दिल्ली। समय के साथ जीवन में शिक्षा का महत्व इतना ज्यादा बढ़ता जा रहा है, आज हर बच्चे की जरूरत है एक दिशा और एक दिशा-निर्देशक। ऐसे में अगर आपका शिक्षक या शिक्षण संस्थान ही आपका दिशा-निर्देशक बन जाए तो इससे बेहतर और क्या होगा। कुछ इसी तरह से बच्चों का मार्ग दर्शन कर उन्हें उनका जीवनमार्ग दिखाने का काम कर रहा है दिल्ली के GTB नगर का RKC संस्थान। संस्था की डायरेक्टर रेनू कुमरा ने एजुकेशन विजय से बात चीत के दौरान अपने अनुभवों को साझा किया।
शिक्षा के क्षेत्र में 12 सालों के लंबे अनुभव के बाद रेनू ने 6 साल पहले RKC संस्थान की स्थापना कर बच्चों को शिक्षा देने का फैसला किया। अब तक उनके संस्थान से 1000 से भी अधिक छात्र पढ़ चुके हैं।
आपको बताते हैं इस बातचीत के कुछ खास अंश...
उनका कहना है कि आज के इस प्रतियोगिता के दौर में विद्यार्थी जीवन में आपका शिक्षण संस्थान बहुत ही महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। शिक्षा केंद्र का माहौल और परिवेश आपकी पढ़ाई पर काफी असर डालते हैं।
उनका कहना है कि आज कल निजी शिक्षण संस्थान पैसों के लालच में बच्चों से लुभावने वादे कर देते हैं और जबकि हकीकत में संस्थान में वो सुविधाएं नहीं दी जातीं है। जिसके चलते बच्चे तकनीकी ज्ञान से वंचित रह जाते हैं और बच्चों का मनोबल कम हो जाता है। लेकिन हमारी संस्था बच्चों को सही दिशा दिखाने में और उनके सपनो को पूरा करने में पूरी मदद करती है ताकि जो भी बच्चा संस्था से बाहर निकले वो इस प्रतियोगिता के दौर में किसी से पीछे न रह जाये। उन्होंने कहा कि जब यहां के किसी छात्र को कहीं सफलता मिलती है तो बेहद खुशी मिलती है।

अंत में उन्होंने कहा कि आज युवाओं के लिए सही मार्गदर्शन भी उतना ही जरूरी है जितनी की शिक्षा।