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Monday, 11 April 2016

भारतीय जीवन मूल्यों पर आधारित हो शिक्षा पद्धति- हरिबोरीकर

एजुकेशन विजय, झांसी/ओरक्षा, 10 अप्रैल। शिक्षा का उद्देश्य केवल रोजगार प्राप्त करना नहीं हो सकता। मैकाले की शिक्षा पद्धति भारतीय जीवन मूल्यों पर आधारित नहीं है। जिसके चलते संवेदनशील मन के साथ असाधारण व्यक्तित्व का निर्माण हो पाना भी संभव नहीं। यही वह कारण है कि वर्तमान में सृजनात्मकता का अभाव नजर आता है। ऐसी शिक्षा पद्धति में अब तकनीकि के हिसाब से सुधार की आवश्यकता है। जिस पर अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद राष्ट्रीय पदाधिकारियों के साथ चिंतन कर रहा है। उक्त विचार एबीवीपी के राष्ट्रीय मंत्री हरिबोरीकर ने व्यक्त किये। श्रीबोरीकर मध्यप्रदेश के ओरछा में अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद की केन्द्रीय कार्यसमिति की चार दिवसीय बैठक में आए थे।उन्होंने कहा कि देश में वर्तमान शिक्षा प्रणाली में परिवर्तन किए जाने की जरूरत है। उन्होंने बताया कि शिक्षा का उद्देश्य केवल रोजगार प्राप्त करने से कदापि नहीं है, बल्कि संस्कारित होकर आने वाली पीढी को एक दिशा देना और संवेदनशीलता के साथ असाधारण व्यक्तित्व का निर्माण करना होता है। इसके लिए भारतीय मूल्यों पर आधारित शिक्षा की आवश्यकता है। यह बात मैकाले शिक्षा पद्धति के माध्यम से युवाओं को नहीं पढाई जा सकती। उन्होंने कहा कि भारत कभी शिक्षा के क्षेत्र में कमजोर नहीं रहा। तक्षशिला और नालन्दा विश्वविद्यालय इसके उदाहरण है। किन्तु वर्तमान नई तकनीकि के साथ चलने के लिए यह आवश्यक है कि उसमें और सुधार किए जाएं। उन्होंने कहा कि इसके लिए सस्ती व सुलभ शिक्षा छात्रों को प्रदान कराए जाने की आवश्यकता है। साथ ही यह भी आवश्यक है कि वह पद्धति भारतीय मूल्यों को भी अपने आप में समाहित करते हुए रोजगारपरकता बनाने में सहायक हो। उन्होंने बताया कि तकनीकि शिक्षा की बढी हुई फीस भी चिंता का विषय है। बुन्देलखण्ड के मामले में उन्होंने कहा कि यहां पर सूखे की स्थिति है। किसान पानी के लिए तरस रहा है। किसानों के जीवन में खुशहाली के लिए सरकार को प्रयासरत रहना चाहिए।देश को रामराजा सरकार जैसे राजा की जरूरत

जब उनसे पूछा गया कि आपको ओरछा में किस बात ने सर्वाधिक प्रभावित किया तो उन्होंने कहा कि ओरछा बुन्देलखण्ड का एक धार्मिक व पर्यटन के दृष्टिकोण से महत्वपूर्ण स्थल है। लेकिन यहां आकर मैंने शनिवार की रात की साढे दस बजे की आरती में भगवान रामराजा सरकार के दर्शन किए। तब से केवल एक ही बात मन को रह रहकर चुभ रही है कि भगवान भी ऐसे राजा है जो रात साढे दस बजे तक जनता के दरबार में उपस्थित रहते हैं। देश को भी ऐसे ही राजा प्रगति के पथ पर ले जा सकते हैं।