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Monday, 29 February 2016

नई सदी में नैनोटेक्नोलाॅजी और बायो स्टैटिक्स की उपयोगिता-प्रोनिमसे

एजुकेशन विजय, इलाहाबाद, 25 फरवरी। शिक्षा के क्षेत्र में सबसे ज्यादा निवेश भारत में हो रहा है, लेकिन अंतर्राष्ट्रीय पटल पर गुणवत्ता प्रदर्शित नहीं हो रही है। ब्रिक्स देशों (ब्राजील, रसिया, भारत, चीन और दक्षिण अफ्रीका) में सबसे ज्यादा आय भारतीय शिक्षकों को मिलती है लेकिन गुणवत्ता के मामले में अभी बहुत सुधार की आवश्यकता है। उक्त विचार उ.प्र राजर्षि टण्डन मुक्त विश्वविद्यालय की विज्ञान विद्याशाखा के तत्वावधान में गुरूवार को ‘करेन्ट सीनेरियो एण्ड प्रोस्पेक्ट्स आफ नैनोटेक्नोलाॅजी एण्ड बायो-स्टेक्टिस’ विषय पर आयोजित दो दिवसीय अंतर्राष्ट्रीय कान्फ्रेन्स का उद्घाटन करते हुए मुख्य अतिथि लखनऊ विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. एस.बी निमसे ने व्यक्त किया।

उन्होंने आगे कहा कि नैनोटेक्नोलाॅजी और बायो-स्टैक्टिस की नई सदी में बहुत उपयोगिता है। भारतीय छात्रों का सकल नामांकन अनुपात अभी बीस प्रतिशत है लेकिन विकसित होने के लिए इसे 30 प्रतिशत होना चाहिए। उन्होंने कहा कि मुख्यतया सही शासकीय नीति के अभाव मंे गुणवत्ता एवं जिम्मेदारी का बोध न होने से उच्च शिक्षा अपना सही आयाम नहीं पा रही है। आज चीजे बहुत तेजी से बदल रही है। आॅनलाईन कोर्सेज की तरफ लोगों का रूझान बढ़ा है।

विशिष्ट अतिथि न्यायमूर्ति सभाजीत यादव ने कहा कि वर्तमान वैश्विक संदर्भ में बायो स्टैटिक्स एवं नैनोटेक्नोलाॅजी का इस्तेमाल युवाओं को आत्मनिर्भर बनाने तथा उन्हें स्वरोजगार उपलब्ध कराने मंे हो सकता है। वैज्ञानिक प्रगति के इस दौर में लोगों को नई तकनीकियों से प्रशिक्षित किया जाये। विशिष्ट अतिथि नेशनल इंस्टीट्यूट आफ मेडिकल स्टैटिक्स नई दिल्ली के निदेशक प्रो. अरविन्द पाण्डेय ने कहा कि सांख्यिकी द्वारा बड़े से बड़े डाटा का परीक्षण करने के बाद गुणवत्तापरक शोध द्वारा समाज मंे विकास के लिए इस्तेमाल कर सकते है। उच्च शिक्षा मंे इसका भरपूर उपयोग हो सकता है। अध्यक्षता करते हुए कुलपति प्रो.एम.पी दुबे ने कहा कि 21वीं सदी नैनो टैक्नोलाॅजी की है। नैनोटेक्नोलाॅजी की उपयोगिता सैद्धान्तिक एवं प्रायोगिक कार्यांे मंे है। बिग डेटा के माध्यम से निरन्तर विकास हो रहा है। कहा कि बायोस्टैटिक्स से हम आज सूक्ष्म विश्लेषण कर सकते हैं, जो समाज के लिए बहुत उपयोगी है। प्रो. दुबे ने बताया कि मुक्त विवि आईसीटी में बिग डेटा का इस्तेमाल कर रहा है। आज मुक्त विवि में प्रवेश एवं परीक्षा बिग डेटा के आधार पर आॅनलाईन हो गयी है। जिसके माध्यम से छात्र विश्व के किसी भी कोने में अपने प्रवेश एवं परीक्षा परिणाम जान सकता है।

इस अवसर पर ईजिप्ट के प्रो.साबिर मोहम्मद अब्दुल्ला ने पशुओं पर जैव तकनिकी के प्रभाव पर विचार व्यक्त किया। अमेरिका के प्रो. एन.डी सिह ने स्मार्ट मटेरियल और उनके उपयोग पर चर्चा की। चेक गणराज्य की डाॅ.कुमुद मिश्रा ने क्लोरोफिल फ्लोरोसेन्स के वर्तमान एवं भविष्य पर गुणवत्तापरख आलेख प्रस्तुत किया। चीन के डाॅ.समीस गुप्ता ने मानवाधिकार और मालीकुलर जेनेटिक के सम्बन्ध में शोधपरख आलेख प्रस्तुत किये। नाजिरिया के डाॅ.अबूबकर ने विस्टर चूहो पर सिनेजेटिक प्रभाव पर प्रकाश डाला। नेपाल के डा.मनोज कुमार ने चूहो पर प्रयोग करके उम्र के प्रभावों को कम करने के अध्ययन पर विचार व्यक्त किया। कान्फ्रेन्स का संचालन संयुक्त आयोजन सचिव डा. गौरव संकल्प तथा धन्यवाद ज्ञापन परीक्षा नियंत्रक डा. मृदुल श्रीवास्तव ने दिया। इस अवसर पर अतिथियों ने कान्फ्रेन्स में प्रस्तुत किए जाने वाले शोध पत्रों के ई-शोविनियर तथा शोध-संक्षिप्तिका का विमोचन किया। अंतर्राष्ट्रीय कान्फ्रेन्स में नाईजीरिया, इजिप्ट, नेपाल, चेक गणराज्य, चीन, यूएसए तथा भारत के विभिन्न प्रान्तों के 200 से अधिक प्रतिनिधि प्रतिभाग कर रहे हैं।

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